अनमोल पचौरी :17-06-22

देश की सेना अपने अनुशासन और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है अमेरिकी सेना भी भारतीय सेना के अनुशासन की कायल है ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की क्या देश के ये उपद्रवी युवा जो कट्टा लेकर प्रदर्शन कर रहे है वे देश की सेना की इस पहचान को कलंकित नही करेंगे ? सेना में सेवा देना देश के प्रति अपने कर्तव्य , निष्ठा और राष्ट्र सेवा की पराकाष्ठा है .  ऐसे में ये युवा जो देश की सेना का भविष्य है, जिन्होंने ने महज़ 2 दिन में 16 ट्रेने फूंक दी और हाथो में कट्टा लेकर प्रदर्शन कर रहे है जिसकी गोली का शिकार एक जवान हो चुका है तो क्या वे युवा देश की सेवा निस्वार्थ भाव से कर पाएंगे? या यह सिर्फ सरकारी नौकरी की सुविधाओं का  मोह है ?

दो दिनों से जल रही ट्रेनों के बीच सासाराम से गोली मारने की खबर ने हैरान कर दिया। सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये कैसे नौजवान हैं, जो खुद को देश की रक्षा करने का दावा करते हैं। देश के दुश्मनों से सीना तानकर मुकाबला करने की हुंकार भरते हैं। क्या ये मान लिया जाए कि इनके लिए देश की सेवा महज एक सरकारी नौकरी है? जिसके एवज में इनको कई तरह की सुविधाए सरकार की ओर से मिलती है और इसी के लिए ये तमाम कसरत करते हैं। जैसे ही इनको पता चला कि इनमें से सिर्फ 25 फीसदी को ही स्थाई नौकरी का मौका मिलेगा तो सड़कों पर हिंसक भीड़ का हिस्सा बन गए। सासाराम सहित कई शहरों में सबकुछ बर्बाद करने पर उतारू हो गए। शिवसागर थाने के एक जवान दीपक कुमार सिंह के पैर में गोली मार दी। मतलब, ये कट्टा लेकर प्रदर्शन करने आए थे। जबकि शिवसागर के थानेदार सुशांत कुमार मंडल के पैर टूट गए।

देश सेवा की ललक या सरकारी नौकरी की मोह?
बिहार से लेकर तेलंगाना तक तांडव मचा हुआ है। सेना में बहाली के लिए केंद्र सरकार की ओर से नया नियम लाया गया। जिसे अग्निपथ नाम दिया गया। सरकार ने इसकी घोषणा मंगलवार को बड़े ही तामझाम से की थी। इसके तहत चार साल की नौकरी होगी और उसके बाद उसमें से एक चौथाई जवानों को स्थाई कर दिया जाएगा। बाकी रिटायर हो जाएंगे। उनको एकमुश्त पैसा मिल जाएगा। वो चाहें तो आगे कोई रोजी-रोजगार कर सकते हैं। मगर सरकारी नौकरी की गारंटी चाहनेवाले नौजवानों की भीड़ में उपद्रवी बक्सर स्टेशन पहुंच गए और ट्रेनों को रोक दिया। मीडिया के जरिए ये बात पूरे देश में फैल गई। इसके बाद माचिस की तिल्ली लेकर हिंसक भीड़ सड़कों और रेलवे ट्रैक पर उतर गई। सबकुछ बर्बाद करने पर उतारू उपद्रवी खुद को देश की रक्षक बताते रहे। मगर इनकी हरकतों ने सड़क छाप गुंडे को भी पीछे छोड़ दिया।

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